उनके ज़हन को बेचैनी का ख्याल दे,
ऐ दिल, उनसे मिलने की तारीख एक दिन और टाल दे।
चलते रहने दे इशारों के ये सिलसिले यूँ ही,
कुछ और रातें उन्हें सौगात-ए-बेहाल दे।
आजकल मिलते भी हैं तो कुछ कहते नहीं,
मेरे रक़ीब को बोल, उन्हें कुछ सवाल दे।
तो क्या हुआ जो उनका यार है साथ उनके,
किसने मना किया कि वो खैरात-ए-जमाल दे|
वो यूँ ही मिल जाए हर रोज़ तो क्या ही मज़ा,
गुज़ारिश-ए-किस्मत, गैरमौजूदगी का उनकी मलाल दे|
उनसे आगे जी कर क्या ही करना है मुझे,
बस उनकी दीद होती रहे, इतने साल दे|
Kya bat h….
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Thanks dear😁😁
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Excellent
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Thanks you
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Waah..umda👌💞
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Bahut bahut shukriya😁🙏
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Waah
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Bahut bahut shukriya 😁🙏
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