तू मेरी ज़िंदगी में…

तेरी सूरत अनजाने में ही सही,
पर आँखो में बसी है,
तुझसे दूरी मेरी साँसों में कमी है,
मेरी हर याद में तेरी ही छवि है,
तू मेरी ज़िंदगी में बस यूँ ही नहीं है।

तुझपे हक़ है मेरा,
मुझमें तू समाई है,
ना फिर जुदा हो सके,
खुदा ने ऐसी कुछ बनाई है,
तू नहीं आसपास जो,
आँखो में मेरे नमी है,
तू मेरी ज़िंदगी में बस यूँ ही नहीं है।

सुकून दिल को तेरे नाम से,
बेचैन जान मेरी फुरकत-ए-शाम से,
तेरी बातें फिर ख़ाली जाम से,
तुझसे मुलाक़ात बहाने या काम से,
इश्क़-ओ-जंग में सब सही है,
तू मेरी ज़िंदगी में बस यूँ ही नहीं है।

तू भी तो बातों के बीच रूकती होगी,
रास्तों में रुक कर मेरी राह तकती होगी,
तेरी भी राह मेरी गलियों में भटकती होगी,
मुझे देख तेरी भी चुन्नी सरकती होगी,
सच कह, मेरी सदा तूने सुनी है,
तू मेरी ज़िंदगी में बस यूँ ही नहीं है।

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